Saturday, April 9, 2016

रामचरितमानस - ब्राह्मणवाद के लिए वातानुकूलित विश्रामागार

रामचरित मानस हमारी जनता के लिए क्या नहीं है ? सभी कुछ है ! दकियानूसी का दस्तावेज है ...नियतिवाद की नैय्या है ...जातिवाद की जुगाली है, सामंतशाही की शहनाई है ! ब्राह्मणवाद के लिए वातानुकूलित विश्रामागार ...पौराणिकता का पूजा मंडप ...वह क्या नहीं है ! सब कुछ है ,बहुत कुछ है ! रामचरितमानस की बदौलत ही उत्तर भारत की लोकचेतना सही तौर पर स्पंदित नहीं होती .'रामचरित मानस ' की महिमा ही जनसंघ के लिए हिन्दीभाषी प्रदेशों में सबसे बडा भरोसा होती है. शूद्र वर्ग और स्त्री वर्ग को 'सहज अपावन' और 'अति अधम' बतलानेवाली एक भी पंक्ति जिस संस्करण में छपी हो ,'रामचरितमानस' का वह संस्करण गैर-कानूनी घोषित हो जाये .ब्राह्मणशाही और सामंतशाही के धूर्त प्रतिनिधि ऊंचे ऊंचे पदों पर जमे बैठे हैं .अब भी मनुस्मृति और रामचरितमानस को ही वे अपना असली 'नीतिग्रंथ' मानते हैं ...समाजवाद के हमारे सपने तब तक अधूरे ही रहेंगें , जब तक 'मानस' का मोह नहीं टूटता ...पिछड़ी जातियों में पैदा होकर भी सौ किस्म की मजबूरियां झेलनेवाले साठ प्रतिशत इंसान तब तक सही अर्थों में 'स्वतंत्र और स्वाभिमानी' भारतीय नहीं होंगें , जब तक 'रामचरितमानस' सरीखे पौराणिक संविधान ग्रन्थ की कृपा से प्रभु जातीय भारतीयों की ग़ुलामी का पट्टा उनके गले में झूलता रहेगा ।

बाबा नागार्जुन

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